कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।
ताश के पत्ते खुशनसीब हैं यारों,
बिखरने के बाद कोई उठाने वाला तो है।
जरूरी नही कि हम सबको पसंद आए,
बस, जिंदगी ऐसे जीओ कि रब को पसंद आए।
मुझपे हंसने की ज़माने को सजा दी जाये,
मैं बहुत खुश हूँ ये अफवाह उड़ा दी जाये।
ख़ुद भी शामिल नहीं जिंदगी के सफ़र में,
पर लोग कहते हैं कि पूरा क़ाफ़िला हूँ मैं।
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