दिल से बड़ी कोई क़ब्र नहीं है,
रोज़ कोई ना कोई एहसास दफ़न होता है।
भूली बिसरी सभी यादें जला जाऊंगा,
थोड़ा दर्द थम जाने दो, मैं चला जाऊंगा।
यूँ ना छोड़ जिंदगी की किताब को खुला,
बेवक्त की हवा ना जाने कौन सा पन्ना पलट दे।
ज़िन्दगी है चार दिन की, कुछ भी न गिला कीजिये,
दवा, ज़हर, जाम, इश्क, जो मिले मज़ा लीजिये।
खुदा न बदल सका आदमी को आज भी यारों,
और अब तक आदमी ने सैकड़ो खुदा बदल डाले।
No comments:
Post a Comment