इंतजार तो बस उस दिन का है,
जिस दिन तुम्हारे नाम के पीछे हमारा नाम लगेगा।
ज़्यादा कुछ नहीं बदला उसके और मेरे,
बीच में पहले नफरत नहीं थी और अब प्यार नहीं है।
लग रहा है भूल गए हो शायद,
या फ़िर कमाल का सब्र रखते हो।
ज़िन्दगी है चार दिन की, कुछ भी न गिला कीजिये
दवा, ज़हर, जाम, इश्क, जो मिले मज़ा लीजिये।
जिस फूलों की परवरिश हमने अपनी मोहब्बत से की,
जब वो खुशबू के काबिल हुए तो औरों के लिए महकने लगे।
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