ज़ालिम ने दिल उस वक़्त तोडा,
जब हम उसके गुलाम हो गए।
बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी,
सलीका चाहिये जनाब आवारगी में।
सच ये हे बेकार हमें ग़म होता हे,
जो चाहा था दुनिया में कम होता हे।
जो ये तीर फेंकते हो तुम, बेसबब जमाने पर,
ये भी याद रख लेना, तुम भी हो निशाने पर।
सितम तो ये है की हमारी सफों में शामिल हैं,
चराग बुझते ही खैमा बदलने वाले लोग।
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