जिसे निभा न सकूँ, ऐसा वादा नही करता,
मैं बातें अपनी औकात से, ज्यादा नहीं करता।
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पर है कितना बोझ, कोई देखता नहीं।
मोहब्बत की मिसाल मॆ बस इतना ही कहूँगा,
बेमिसाल सजा है.. किसी बेगुनाह के लिये।
न जरूरत, न आदत, न जिद, न मोहब्बत, न जुनून,
बस एक.. पुरानी जानलेवा लत हो तुम..!!
चलने की कोशिश तो करोदिशायें बहुत हैं।
रास्तो पे बिखरे काँटों से न डरो, तुम्हारे साथ दुआएँ बहुत हैँ।
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