जहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून का,
वहीँ तेरी बाहोँ की तलब लग जाती हैं।
ऐ जिंदगी तू खेलती बहुत है खुशियों से,
हम भी इरादे के पक्के हैं मुस्कुराना नहीं छोडेंगे।
मंज़र धुंधला हो सकता है, मंज़िल नहीं,
दौर बुरा हो सकता है, ज़िंदगी नहीं..!!
बडा जालिम है साहब, दिलबर मेरा,
उसे याद रहता है, मुझे याद न करना!
मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना,
पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हु।
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