कोई मुक़दमा ही कर दो हमारे सनम पर,
कम से कम हर पेशी पर दीदार तो हो जायेगा।
सीतम तो ये है की पगली तु भी ना बन सकी अपनी,
जा कुबूल किया हमने तेरा ये गम भी ख़ुशी की तरह।
मुस्कुराना तो मेरी शख्सियत का एक हिस्सा है दोस्तों,
तुम मुझे खुश समझ कर दुआओ में भूल मत जाना।
दरख्तों से ताल्लुक का हुनर सीख ले इंसान,
जड़ों में ज़ख्म लगते हैं तो टहनियाँ सूख जाती हैं।
इक टूटी सी ज़िन्दगी को समेटने की चाहत थी,
न खबर थी उन टुकड़ों को ही बिखेरे बैठेंगे हम।
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