मैंने पूछा कैसे जान जाते हो मेरे दिल की बातें,
वो बोली जब रूह में बसे हो फिर ये सवाल क्यूँ।
वो रख ले कहीं अपने पास हमें कैद करके,
काश की हमसे कोई ऐसा गुनाह हो जाये।
खुद को वो चाहे लाख मुकमल समझे,
लेकिन मेरे बिना वो मुझे अधूरा ही लगती है।
काश इक दिन ऐसा भी आये हम, तेरी बाहों में समा जाएँ,
सिर्फ हम हो और तुम हो और, वक्त ही ठहर जाए।
मुहब्बत होंठों से नहीं, उनसे निकली मीठी बातों से है..
क्यों कि मासूमियत चेहरे से कहीं ज्यादा, उसकी भोली आँखों में है।
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