टूटे मक़ान वाला, दिल में ताजमहल रखता हूँ,
बात गहरी मगर अल्फ़ाज़ सरल रखता हूँ।
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये,
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है।
हमें भी शौक था दरिया-ऐ-इश्क में तैरने का,
एक शख्स ने ऐसा डुबाया कि अभी तक किनारा न मिला।
लुट लेते है अपने ही वरना, गैरों को
कहां पता इस दिल की दीवार कहां से कमजोर है।
तुझे याद रखने के शौक में, मैंने खुद को भुला दिया,
मेरा नाम पूछा किसी ने जब, तेरा नाम मैंने बता दिया।
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