चाह कर भी पूछ नहीं सकते हाल उनका,
डर है कहीं कह ना दे के ये हक तुम्हे किसने दिया।
तुमने ही बदले दिए सिलसिले अपनी वफाओं के,
वरना हम तो आज भी तुम से अज़ीज़ कोई नही।
तेरे वजूद से हैं मेरी मुक़म्मल कहानी,
मैं खोखली सीप और तू मोती रूहानी।
मुझ से खुशनसीब है मेरे लिखे हुए ये लफ्ज,
जिनको कुछ देर तक पढेगी निगाह तेरी।
जो आँखों में हुई बातें वो सबसे हसीन थीं,
लफ़्ज़ों में बयान करके उन्हें इलज़ाम ना दो।
No comments:
Post a Comment