खामोश आँखों में और कितनी वफ़ा रखूं,
तुम्ही को चाहूँ कि तुम्हीं से फासला रखूं।
नुमायश करने से चाहत बड़ नहीं जाती,
मोहब्बत वो भी करते हैं जो इजहार नही करते।
यूँ ही बे-सबब नही बनते भँवर दरिया में,
ज़ख्म कोई तो तेरी रूह में उतरा होगा।
सबने कहा, बेहतर सोचो तो बेहतर होगा,
मैंने सोचा, उसको सोचूँ, उससे बेहतर क्या होगा।
आँखों में देखी जाती हैं प्यार की गहराईयाँ,
शब्दों में तो छुप जाती हैं बहुत सी तन्हाईयाँ!
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