ना कोई दिल में समाया ना कोई पहलू में आया,
जा के भी पास रहीं तुम ही और
जान-ए-जाँ जान-ए-मन जानती हो
ना कोई दिल में …
क्यों तुमने दामन चुराया तुम जानों मैं क्या बताऊँ,
मुझमें ही कुछ ऐब होगा क्यों तुम पे तोहमत लगाऊँ,
मैं तो यहीं कहूँगा पूछोगी जब भी..
जा के भी पास ..
तुम जो मुझे दे गई हो इक ख़ूबसूरत निशानी,
लिपटा के सीने से उसको कट जाएगी ज़िन्दगानी,
मैं तो यहीं कहूँगा पूछोगी जब भी
जा के भी पास …
जा के भी पास रहीं तुम ही और
जान-ए-जाँ जान-ए-मन जानती हो
ना कोई दिल में …
क्यों तुमने दामन चुराया तुम जानों मैं क्या बताऊँ,
मुझमें ही कुछ ऐब होगा क्यों तुम पे तोहमत लगाऊँ,
मैं तो यहीं कहूँगा पूछोगी जब भी..
जा के भी पास ..
तुम जो मुझे दे गई हो इक ख़ूबसूरत निशानी,
लिपटा के सीने से उसको कट जाएगी ज़िन्दगानी,
मैं तो यहीं कहूँगा पूछोगी जब भी
जा के भी पास …
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