मेरे बाद अगर किसी को मुझ जैसा पाओ,
तो मेरे बाद किसी के साथ मुझ जैसा मत करना।
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें,
इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना।
धूप के साये बिखर आये हैं घर के अन्दर,
इक अँधेरे ने मेरे मन से शिकायत की है।
कुछ पल, ज़रूरतों के साथ क्या गुज़ारे,
मुँह फुला के, बैठ गयी हैं सब ख्वाहिशें।
तुम्हें पा लेते तो किस्सा इसी जन्म में खत्म हो जाता,
तुम्हे खोया है तो, यकीनन कहानी लम्बी चलेगी।
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