Wednesday, February 20, 2019

Hindi Poems Poetry

हर किसी हाथ मे बिक जाने को तैयार नही,
ये मेरा दिल है शहर का बाज़ार नही..
फूल कदमो तले आता है तो रुक जाता हू,
तेरे जैसे ए ज़माने मेरी रफ़्तार नही..
चूम कर पलकों से तन्हाई मे जाकर पढ़ ले,
तेरे दीवाने का खत है कोई अख़बार नही..
हर किसी हाथ मे बिक जाने को तैयार नही,
ये मेरा दिल है शहर का बाज़ार नही..
तेरी ज़ुल्फो मे सज़े जिसका ना गज़रा कोई,
मेरी नज़रो मे ब्या-बान है गुलज़ार नही..
हर किसी हाथ मे बिक जाने को तैयार नही,
ये मेरा दिल है शहर का बाज़ार नही।

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