मेरे सारे सवाल होंठों पर ही रह जाते है,
और तुम सारे ज़वाब आँखों से दे जाते हो।
न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम,
जिसके हो नही सकते, उसी के हो रहे हैं हम।
होंठो के बीच ना रखा करो तुम कलम को,
गजल नशीली होकर लडखडाती हुई निकलती है।
वसीयत लिखनी है अपनी मोहब्बत की मुझे,
बस आखरी साँस भी सनम के नाम करनी है।
वफादारी का असली मतलब उन लोगों से पूछो,
जो किसीको सालों से एकतरफा प्यार करते है।
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