मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं थी,
पर तुम ने पन्ने ही जल्दी पलट दिए।
कितने कमाल की होती है ना दोस्ती,
वजन होता है लेकिन बोझ नही होती।
उम्र बीतती रही जिंदगी के महखानों में,
ना साकी ने पहचाना ना सनम ने।
कितने क़सीदे गढ़े थे तारीफ़ में तेरी,
कमबख्त इस बारिश में सब धूल गए।
ज़रूरी नहीं कि जीने का कोई सहारा हो,
ज़रूरी नहीं कि जिसके हम हों वो भी हमारा हो।
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