प्यार की भी अलग ही प्रथा है,
पल भर में हो जाता है उम्र भर के लिए।
चर्चे इश्क के नही इश्कबाजों के होते है,
इश्क तो आज भी खुदा की बंदगी है..!!
बेताब सा फिरता है कई रोज़ से दिल,
बेचारे ने फिर तुम को कहीं देख लिया है।
सैलाब बनके आँखों से ये निकले,
कंबख्त दर्द के लिए दिल छोटा पड गया।
कोई जंजीर नहीं फिर भी कैद हूँ तुझ में,
नहीं मालुम था की तुझे ऐसा हुनर भी आता है।
Very nice and good post.
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