शायरों से ताल्लुक रखो, तबियत ठीक रहेगी
ये वो हकीम हैं, अलफ़ाजो से ईलाज करते है।
तुम नफरतों के धरने, कयामत तक जारी रखो
मैं मोहब्बत से इस्तीफा, मरते दम तक नहीं दूंगा।
ज़िन्दगी कभी भी ले सकती है करवट, तू गुमां न कर..
बुलंदियाँ छू हज़ार मगर, उसके लिए कोई गुनाह न कर।
तेरे इश्क में डूब कर कतरे से दरिया हो जाऊँ,
मैं तुमसे शुरू होकर तुझमें ख़त्म हो जाऊँ।
लोग कहते हैं कि आदमी को अमीर होना चाहिए,
और हम कहते कि आदमी का जमीर होना चाहिए।
साहिब.. इज्जत हो तो इश्क़ जरा सोच कर करना,
ये इश्क अक्सर मुकाम-ए-जिल्लत पे ले जाता है।
संभाल के रखना अपनी पीठ को यारो,
शाबाशी और खंजर दोनो वहीं पर मिलते है।
हम ने रोती हुई आँखों को हसाया है सदा,
इस से बेहतर इबादत तो नहीं होगी हमसे।
आज दिल कर रहा था, बच्चों की तरह रूठ ही जाऊँ,
पर फिर सोचा, उम्र का तकाज़ा है, मनायेगा कौन।
मैं निकला सुख की तलाश में रस्ते में खड़े दुखो ने कहा,
हमें साथ लिए बिना सुखों का पता नहीं मिलता जनाब।
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