कौन कहता है कि हम झूठ नही बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखिये।
महफील भले ही प्यार करने वालो की हो,
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है।
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें,
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
कहो तो फ़लक़ से तुम्हारे लिए चाँद तारे तोड़ लाऊँ,
इतना काफी हैं, यारा कि कुछ और झुठ बोल जाऊँ।
यारो कुछ तो जिक्र करो, उनकी क़यामत बाहो का,
वो जो सिमटते होंगे उनमे, वो तो मर जाते होंगे।
मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारी दखलंदाजी की आदत गई नहीं,
साँसों में भी रुकावट डालते हो हिचकियाँ बनकर।
खुदा ही जाने क्यूँ हाथो पे तुम मेहँदी लगाती हो,
बड़ी ही नासमझ हो, फूलों पर पत्तों के रंग चढ़ाती हो।
एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया,
जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया।
फासला रख के क्या हासिल कर लिया तुमने,
रहते तो आज भी हो तुम मेरे दिल में ही।
मुझे लिख कर कही महफूज़ कर लो दोस्तो,
आपकी यादाश्त से निकलता जा रहा हूँ में।
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