बहुत सा पानी छुपाया है मैंने अपनी पलकों में,
जिंदगी लम्बी बहुत है,क्या पता कब प्यास लग जाए।
जो तार से निकली है वो धुन सबने सुनी है,
जो साज़ पर बीती है वो दर्द किस दिल को पता है।
कौन तोलेगा हीरों में अब तुम्हारे आंसू फ़राज़,
वो जो एक दर्द का ताजिर था दुकां छोड़ गया।
रूबरू आपसे मिलने का मौका रोज नहीं मिलता,
इसलिए शब्दों से आप सब को छू लेता हूँ।
जिनकी संगत मैं ख़ामोश संवाद होते है,
अक्सर वो रिश्ते बहुत ही ख़ास होते हैं।
तासीर किसी भी दर्द की मीठी नहीं होती ग़ालिब,
वजह यही है की आँसू भी नमकीन होते है।
मेरे टूटने का ज़िम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये ज़िद थी की अभी और तराशा जाए।
रात के कितने पहर हैं.. क्या जाने,
तेरे इंतज़ार में मैने तारे हज़ार बार गिने।
ये सुर्ख लब, ये रुखसार, और ये मदहोश नज़रें..
इतने कम फासलों पर तो मयखाने भी नहीं होते।
अपने रब के फैसले पर,भला शक केसे करूँ,
सजा दे रहा है गर वो, कुछ तो गुनाह रहा होगा मेरा।
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