कुछ चीज़े 'कमजोर' की हिफाज़त में भी 'महफूज़' रहती हैं,
जैसे 'मिटटी की गुल्लक' में 'लोहे के सिक्के...!
बशर्ते विश्वास होना चाहिए
चाहता तो हूँ कि...
हर सुबह आपको
अनमोल खज़ाना भेजूं
पर
मेरे पास..
दुआओं के सिवा
कुछ भी नहीं.....
चलते रहे कदम तो
किनारा जरुर मिलेगा ।
अन्धकार से लड़ते रहे
सवेरा जरुर खिलेगा ।
जब ठान लिया मंजिल पर जाना
रास्ता जरुर मिलेगा ।
ए राही न थक, चल.
एक दिन समय जरुर फिरेगा…।
No comments:
Post a Comment