चेहरे ‘अजनबी’ हो जाये तो कोई बात नही, लेकिन
रवैये ‘अजनबी’ हो जाये तो बडी ‘तकलीफ’ देते हैं।
मेरे टूटने की वजह मेरे जौहरी से पूछो,
उसकी ख्वाहिश थी कि मुझे थोड़ा और तराशा जाय।
बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने,
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए।
लिखी है खुदा ने मोहब्बत सबकी तक़दीर में,
हमारी बारी आई तो स्याही ही ख़त्म हो गई।
रिवाज तो यही हे दुनिया का मिल जाना और बिछड जाना,
तुम से ये कैसा रिशता है ना मिलते हो ना बिछडते हो।
तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभी,
बेदर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं अभी।
इतना ही गरूर था तो मुकाबला इश्क़ का करती ए बेवफा,
हुस्न पर क्या इतराना जिसकी ओकात ही बिस्तर तक हो।
तेरी दुनिया का यह दस्तूर भी अजीब है ए खुदा..
मोहब्बत उनको मिलती है, जिन्हें करनी नहीं आती।
अंदाज़ बदलने लगते हैं होठों पे शरारत होती,
है, नजरों से पता चल जाता है जिस दिल में मोहब्बत होती है।
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग..
जब ‘रूह’निकल जाएगी तो कफन हटाहटा कर देखेंगे लोग।
थोडा अकड के चलना सीख लो दोस्तों..
मौम जैसा दिल लेके फिरोगे, तो लोग जलाते रहेंगे और पिघलाते ही रहेंगें।
Log kehte hai ki mohabbat ek bar hoti hain,
Lekin me jab jab use dekhu mujhe har bar hoti hai.
Ek choote se sawal par itni khamoshi..???
Bas itna hi toh pucha thaa.. ‘Kabhi wafaa ki h kisi se..’
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