हमे क्या पता था, आसमा ऐसे रो पडेगा..,
हमने तो बस इन्हें अपनी दास्ता सुनाई थी..!!!
मानो तो हर पत्थर मेँ खुदा बसता है. .
अंदाज यही से लगा सकते हैँ आप, कि खूदा कितना सस्ता है. . .
नाजुक मिजाज हूँ कुछ, कुछ दिल से भी हूँ परेशाँ
पायल पहन के पांव में मै छमछम से डर गई
तुझे रख लिया इन यादों ने..फूल सा किताब में…
इस दिल में तुम रहेगे सदा..और महकोगे इन साँसों में…।।
छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर..,
ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं..
हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी।
ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है।.
जब जी चाहे नई दुनिया बना लेते है लोग
एक चेहरे पे कई चहरे लगा लेते है लोग..
महफ़िल भले ही प्यार वालों की हो..
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शराबीही लाता हैं…
जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है,
जो मुसाफिर थे वो रास नहीं आये,
जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये ..!!
दिल मे खुशी हो तो.. छलक जाती हैं..!
मुस्कुराहटें.. वजह की मोहताज नही होती..!!
कब दोगे ‘रिहाई’ मुझे इन यादोँ की ‘कैद’ से..
ऐँ ‘इश्क.. अपने ‘जुल्म’ देख.. मेरी ‘उम्र’ देख….
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