ज़माने में बस ये दो हादसे नही होते,
हम तुमसे जुदा, तुम हमारे नही होते।
क़लम जब तुमको लिखती है,
दख़ल-अंदाजी फ़िर हम नहीं करते।
तेरी याद में मेरी कलम भी रो पड़ी तू ही बता,
मैं कैसे कह दूं कि मुझे तुझसे मोहब्बत नहीं।
खुश हूँ कि मुझको जला के तुम हँसे तो सही,
मेरे न सही किसी के दिल में बसे तो सही।
नहीं फुर्सत यकीं मानो हमें कुछ और करने की,
तेरी यादें, तेरी बातें बहुत मसरूफ़ रखती है।
मुझे भी पता है कि तुम मेरी नहीं हो,
इस बात का बार बार एहसास मत दिलाया करों।
रब ना करें इश्क़ की कमी किसी को सताए,
प्यार करो उसी से जो तुम्हें, दिल की हर बात बताये।
कोई मजबूरी होगी जो वो याद नहीं करते,
सम्भल जा ऐ दिल तुझे तो रोने का बहाना चाहिए।
तुझे बर्बाद कर दूँगी, अभी भी लौट जा वापिस,
मोहब्बत नाम है मेरा मुझे क़ातिल भी कहते हैं।
दोस्ती का फर्ज इस तरह निभाया जायेँ,
अगर रहीम रहेँ भूँखा तो राम से भी ना खाया जायेँ।
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