ग़ज़ब ख़ूबसूरत है तुम्हारा हर अन्दाज़,
इश्क़ में जलने का मुहब्बत में जलाने का।
महफ़िल में गले मिल के वो धीरे से कह गए,
ये रस्म-ए-अंजुमन है चाहत का गुमाँ न कर।
बुढे माँ बाप को अपने घर से निकाल रख़ा है,
अजिब शौख़ है बेटे का कुतों को पाल रख़ा है।
जब दिल से हमारा रिश्ता था बहुत कमाल था,
तुमने दिमाग लगाके बड़ा बवाल कर दिया।
तू हर जगह खूबसूरती तलाश न कर,
हर अच्छी चीज मेरे जैसी नहीं होती।
सुनो तुम मुझसे पहले न मरना..
मुझे तुम्हे अपनी मौत का दर्द देना है।
आखिर लग ही गयी न तुम्हें मोहब्बत की ठण्ड,
कितना समझाया था कि ओढ़ लो तमन्ना मेरी।
ये सोच के कटवा दिया कमबख्त ने वो पेड़,
आँगन में मेरे है और पड़ोसी को हवा देता है।
एक ख्याल हूँ तुम्हारा कब तक मुझे याद रखोगे,
भूल ही जाओगे जब सिरहाने नये ख्वाब रखोगे।
मुझे नहीं आती हैं उड़ती पतंगों सी चालाकियां,
गले मिलकर गला काटूं.. वो मांझा नहीं हूँ मै।
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