Tuesday, August 29, 2017

ढूँढता हूं मैं जब अपनी ही...Hindi Shayari...


ढूँढता हूं मैं जब अपनी ही खामोशी को,
मुझे कुछ काम नहीं दुनिया की बातों से,
आसमाँ दे न सका चाँद अपने दामन का,
माँगती रह गई धरती कई रातों से.

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