*टूट* जाता है *गरीबी* मे
वो *रिश्ता* जो खास होता है,
हजारो यार बनते है
जब *पैसा* पास होता है।
रोज़ *याद* न कर पाऊँ तो
*खुदग़रज़* ना समझ लेना,
दरअसल छोटी सी *जिन्दगी* है।
और *परेशानियां* बहुत हैं..!!
मैं *भूला* नहीं हूँ *किसी* को...
मेरे बहुत *अच्छे दोस्त है ज़माने में* ..
बस *जिंदगी उलझी पड़ी* है ..
*दो वक़्त की रोटी कमाने में।.* . .
😊😊🌹🌹
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