थोडा इंतजार तो कर लेते..
वक्त ही तो खराब था दिल थोडी था।
काश तेरी यादों में एक ऎसा मोड आ जाये,
जहाँ में आँखे बन्द करु और मुझे नींद आ जाये।
तेरे खामोश होठों पर मुहोब्बत गुन्गुनाती है,
तु मेरि है मैं तेरा हु बस यही आवाज़ आती है।
अगर निगाहे हो मंज़िल पर और कदम हो राहो पर,
ऐसी कोई राह नही जो मंज़िल तक ना जाती हो।
मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर,
उनसे बिछड़ जाना, ये सज़ा कुछ ज्यादा हो गई।
इश्क है या इबादत.. अब कुछ समझ नहीं आता,
एक खुबसूरत ख्याल हो तुम जो दिल से नहीं जाता।
तुझे छोड़ दूं तुझे भूल जाऊँ कैसी बातें करते हो,
सूरत तो सूरत है मुझे तो तेरे नाम के लोग भी अच्छे लगते है।
एक तू है जिसे परवाह नहीं मेरी,
एक मैं हूँ जो परेशान तेरे लिए।
कैसे मुमकिन था किसी और दवा से इलाज ग़ालिब,
इश्क़ का रोग था, बाप की चप्पल से ही आराम आया।
तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की,
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते।
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