Sunday, June 25, 2017

पहले रिम-झिम फिर बरसात और...2 Line Shayari, Rain-Barish Shayari...

पहले रिम-झिम फिर बरसात और अचानक कडी धूप,
मोहब्बत ओर अगस्त की फितरत एक सी है..!!



किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर !!



बारिश और महोबत दोनों ही यादगार होते हे,
बारिश में जिस्म भीगता हैं और महोबत मैं आँखे.

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