कभी हमसे भी, पूछ लिया करो हाल-ए-दिल,
कभी हम भी तो कह सकें, दुआ है आपकी।
यूँ असर डाला है, मतलबी लोगों ने दुनिया पर,
हाल भी पूछो तो, लोग समझते हैं कि कोई काम होगा।
कफन मे लिपटा देखकर माथा चूम के मेरे दोस्त मुझसे बोले..
अरे पागल, नऐ कपडे पहन लिये तो क्या अब बात भी नही करेगा।
तूने मेरी मोहब्बत की दीवानगी को समझा ही नहीं,
मैं बारिश में भी तेरे आसुओं को पहचान लेता था।
अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है..
काफिला जिंदगी का, सकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे।
नज़रों के तीर हम भी चलाना जानते है जनाब,
बस डरते है की निशाना कहीँ दिल पे ना चल जाये।
जब तुम नही समझे तब मैंने खुदको,
कितना समझाया है.. ये तुम नही समझोगे।
मुझको छोडने की वजह तो बता जाते..
तुम हमसे बेजार थे या हम जैसे हजार थे।
सिर्फ ख्वाब होते तो क्या बात होती,
तुम तो ख्वाहिश बन बैठे, वो भी बेइंतहा।
एक मुद्दत हो गई.. तुम लड़ती नही हो हम से,
एक अरसे से फ़ीका पड़ा है, मासूम सा इश्क़ मेरा।
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