Sunday, June 4, 2017

समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए...Hindi shayari...

समंदर न सही पर एक नदी तो होनी चाहिए,
तेरे शहर में ज़िंदगी कहीं तो होनी चाहिए। 



माना कि बहुत कीमती है वक़्त तेरा,
मगर.. हम भी नवाब हैं बार-बार नहीं मिलेंगे।



खेलना अच्छा नहीं किसी के नाज़ुक दिल से..
दर्द जान जाओगे.. जब कोई खेलेगा तुम्हारे दिल से।



ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी यारो,
और अब तक आदमी ने सैकड़ों ख़ुदा बदले।



तुम अच्छे हो तो बेहतर, तुम बुरे हो- तो भी कबूल,
हम मिज़ाज-ऐ-दोस्ती में ऐब-ऐ-दोस्त नहीं देखा करते।



मैं ख्वाहिश बन जाऊँ, और तू रूह की तलब,
बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर।



शतरंज मे वज़ीर और ज़िंदगी मे ज़मीर,
अगर मर जाए तो समझिए खेल ख़त्म।



अब इस से ज्यादा क्या नरमी बरतू
दिल के ज़ख्मो को छुया है तेरे गालों की तरह। 



हुस्न भी तेरा, अदाएं भी तेरी, नखरे भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी, कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे।



लोग कहते हैं किसी एक के चले जाने से जिन्दगी अधूरी नहीं होती,
लेकिन लाखों के मिल जाने से उस एक की कमी पूरी नहीं होती है।

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