गुफ्तगू करते रहिये थोड़ी थोड़ी सभी दोस्तो से,
जाले लग जाते है अक्सर बंद मकानों में भी।
बहुत ही आसान है जमीं पे आलीशान मकानों का बना लेना,
दिल में जगह बनाने में जिन्दगी गुजर जाया करती है।
मुझे तो आदत है तुम्हें याद करने की,
अगर हिचकियाँ आएँ तो माफ़ करना।
बेचैनियां बाजार में, नहीं मिला करती यारों,
बाँटने वाला, कोई बहुत नज़दीकी होता है।
दुनिया में सब से ज्यादा वजनदार,
खाली जेब होती है साहेब, चलना मुश्किल हो जाता है।
रूबरू आपसे मिलने का मौका रोज नहीं मिलता,
इसलिए शब्दों से आप सब को छू लेता हूँ।
बड़ी आरूजु थी महबुब को बेनकाब देखें,
दुपट्टा जो सरका तो जुल्फें दीवार बन गई।
उस शक्श से फ़क़त इतना सा ताल्लुक है मेरा,
वो परेशान होता है तो मुझे नींद नही आती है।
राख होता हुआ वजूद मुझसे थक कर सवाल करता है,
मोहब्बत करना तेरे लिए इतना ही जरुरी था क्या।
इससे बढ़कर और क्या सितम होगा खुदा,
वो चाहते भी है और कहते भी नहीं।
No comments:
Post a Comment