Thursday, June 1, 2017

ना पेशी होगी...ना गवाह होगा...Hindi Shayari...

ना पेशी होगी.. ना गवाह होगा,
जो भी उलझेगा मोहब्बत से.. वो सिर्फ तबाह होगा।



कुछ शिकायतें बनी रहें रिश्तों में तो अच्छा है,
चाशनी मे डूबे रिश्ते अक्सर वफादार नहीं होते।



हादसे कुछ दिल पे ऐसे हो गये,
हम समंदर से भी गहरे हो गये।



बस इबादत में कमी है ज़नाब,
वरना ख़ुदा तो हर जग़ह मौजूद है।



हुस्न वाले वफ़ा नहीं करते, इश्क वाले दगा नहीं करते,
जुल्म करना तो इनकी आदत है, ये किसी का भला नहीं करते।



हम आज भी शतरंज़ का खेलअकेले ही खेलते हे,
क्युकी दोस्तों के खिलाफ चालचलना हमे आता नही।



सज़दे कीजिये, या माँगिये दुआयें,
जो आपका है ही नही, वो आपका होगा भी नही।



फूल यूँ ही नही खिल जाते साहब,
बीज को दफन होना पड़ता है।



जरुरी नहीं है कुछ तोड़ने के लिए पत्थर ही मारा जाए,
अंदाज बदल के बोलने से भी बहोत कुछ टूट जाता है।



उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए,
अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे।

No comments:

Post a Comment