Monday, February 13, 2017

Poem on School days...शर्ट के बटन...

शर्ट के बटन ऊपर नीचे लगाना
वो अपने बाल खुद न काढ पाना
पी टी शूज को चाक से चमकाना
वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना
और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना
वो prayer के समय class में ही रुक जाना
पकडे जाने पे पेट दर्द का बहाना बनाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो टिन के डिब्बे को फ़ुटबाल बनाना
ठोकर मार मार उसे घर तक ले जाना
साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना
और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
गुस्से में एक-दूसरे की
कमीज पे स्याही छिड़काना
वो लीक करते पेन को बालो से पोछते जाना
बाथरूम में सुतली बम पे अगरबती लगा छुपाना
और उसके फटने पे कितना मासूम बन जाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो games period के लिए sir को पटाना
unit test को टालने के लिए उनसे गिडगिडाना
जाड़ो में बाहर धूप में class लगवाना
और उनसे घर-परिवार के किस्से सुनते जाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो बेर वाली के बेर चुपके से चुराना
लाल –काला चूरन खा एक दूसरे को जीभ दिखाना
जलजीरा , इमली देख जमकर लार टपकाना
साथी से आइसक्रीम खिलाने की मिन्नतें करते जाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो लंच से पहले ही टिफ़िन चट कर जाना
अचार की खुशबूं पूरे class में फैलाना
वो पानी पीने में जमकर देर लगाना
बाथरूम में लिखे शब्दों को बार-बार पढके सुनाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो exam से पहले गुरूजी के चक्कर लगाना
लगातार बस important ही पूछते जाना
वो उनका पूरी किताब में निशान लगवाना
और हमारा ढेर सारे course को देख चकराना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो farewell पार्टी में पेस्ट्री समोसे खाना
और जूनियर लड़के का ब्रेक डांस दिखाना
वो टाइटल मिलने पे हमारा तिलमिलाना
वो साइंस वाली मैडम पे लट्टू हो जाना
 ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना ...
वो मेरे स्कूल का मुझे यहाँ तक पहुचाना
और मेरा खुद में खो उसको भूल जाना
बाजार में किसी परिचित से टकराना
वो जवान गुरूजी का बूढ़ा चेहरा सामने आना ...

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