तेरा मिलना ऐसे होता है जैसे,
कोई हथेली पर एक वक़्त की रोजी रख दे। 
जिस्म से साथ निभाने की मत उम्मीद रखो,
इस मुसाफ़िर को तो रस्ते में ठहर जाना है। 
दिखाई देते हैं धुँद में जैसे साए कोई,
मगर बुलाने से वक़्त लौटे न आए कोई। 
मैंने सीखा हैं इन पत्थर की मूर्तियों से,
भगवान बनने से पहले पत्थर बनना जरूरी है। 
लगाई तो थी आग उसकी तस्वीर में रात को,
सुबह देखा तो मेरा दिल छालों से भरा पडा था
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