क्या लिखूँ, अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तों..
वो लोग ही बिछड़ गए, जो जिंदगी हुआ करते थे।
रिश्ता दिल से होना चाहिए, शब्दों से नहीं,
नाराजगी शब्दों में होनी चाहिए, दिल में नहीं।
तेरा नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था,
शायद तुझे वक्त गुज़ारना था और मुझे जिन्दगी।
माना के सब कुछ पा लुँगा मै अपनी जिन्दगी मै,
मगर वो तेरे मैहदी लगे हाथ मेरे ना हो सकेंगे।
जिनके प्यार बिछड़े है उनका सुकून से क्या ताल्लुक़,
उनकी आँखों में नींद नही सिर्फ आंसू आया करते है।
अभी तक मौजूद हैं इस दिल पे तेरे क़दमों के निशान,
हमने तेरे बाद किसी को इस राह से गुजरने नहीं दिया।
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा,
एक मौत ही है, जिसका मैं वादा नही करता।
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