तेरा नजरिया मेरे नजरिये से अलग था…
शायद तूने वक्त गुजारना था और हमे सारी जिन्दगी..
वाह रे इश्क़ तेरी मासूमियत का जवाव नहीं.।।
हँसा हँसा कर करता है बर्बाद तू मासूम लोगो को.।।
Mera majhab to, ye do hatheliya batati hai
jude to pooja… khule to dua kehlati hai
ना मैं शायर हूँ ना मेरा शायरी से कोई वास्ता,
बस शौक बन गया है, तेरी यादो को बयान करना
फरिश्ते आकर उनके जिस्म पर खुशबू लगाते थे !
वो बच्चे रेल के डिब्बों में अब झाडू लगाते हैं !!
जिन्हें पता है कि अकेलापन क्या होता है, वो लोग
दूसरों के लिए हमेशा हाजिर रहते हैं..!!
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है..!!
रूठा अगर तुझसे तो इस अंदाज से रूठूंगा ,
तेरे शहर की मिट्टी भी मेरे बजूद को तरसेगी
हम लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के
जिम्मेदारियां बांध देती हैं अपना शहर न छोड़नेको..
वरना कौन तरक्की की सीढीयां चढ़ना नहीं चाहता..
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